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एट ऑफ कप्स

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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



निराशा, परित्याग, दुख, वापसी, पलायनवाद।

कार्ड के अनुसार आपके जीवन में निराशा, दुख के क्षण आने वाले हैं।किंतु आप उनसे थोडी ना डरते हैं। ऐसे कितने गमों के पहाड आप पहले भी उठा चुके हो। परित्याग, सन्यास की परिभाषा भी आप जान चुके हैं आपके साथ जो हुआ उसके बाद तो कोई भी सन्यस्त होकर भाग जाता। लेकिन आप डटे रहे। सामना करते रहे। आपको ना वापसी पसंद है ना पलायनवाद। आपको बेहतर मालूम है पलायन करके जाएंगे कहाँ तक। जिंदगी के अंत तक और कयामत 'दुनिया के अंत' तक।

रिवर्स भविष्य कथन



खुशी, आनंद, एक बार और प्रयास करना, अनिर्णय, लक्ष्यहीन बहना, दूर चलना।

बहोत हुआ, अब आपके जीवन में परमात्मा खुशी और आनंद बख्श ही दे रहा है। समस्या आने के बाद आपने हमेशा प्रयास करके उनसे जान छुडवाई है। इस बार भी कुछ ऐसा हो जाए तो एक बार और प्रयास करना बस आपका काम बन जाएगा। ज्यादा बेहतर की अपेक्षा में अनिर्णय की स्थिती में आकर रुकना नहीं है।आप जानते हैं बिना लक्ष्य के दूर तक चलना आसान नहीं है। लक्ष्यहीन बहना सबसे भयंकर पाप है।आपके लक्ष्य बडे हैं। दूर चलना आपकी फितरत है। छोटे लक्ष्य और सीधे रास्ते आपको पसंद ही नहीं है।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



उदास आसमान में पीला चाँद एकदम उदास है। एक आदमी पहाड़ियों पर चढ़ रहा है। हाथ में एक पहाडों वाली छड़ी के साथ वह लाल रंग के कपड़ों में है। पहाड़ों से पानी बह रहा है। पांच कप जमीन पर हैं और तीन कप उस पर रखे गए हैं।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


एक राजा निश्चिंत होकर हिमालय की ओर बढ़ रहा है। आकाश में तृतिया का चाँद है। सुनहरा पर्बत उसके पहुंच के भीतर है।

सभी आठ कलश, मार्गदर्शन करने वाले जमीन पर हैं।

वह पांडवों के सबसे बड़े भाई राजा युधिष्ठिर हैं। उन्हें धर्मराज के नाम से भी जाना जाता था। पांचों भाई अपनी पत्नी पांचाली और एक कुत्ते के साथ अंतिम मंजिल की ओर बढ़ रहे थे। सभी की मृत्यु हो गई, लेकिन धर्मराज अपने शरीर सह, परम मोक्ष के साथ स्वर्ग में प्रवेश कर गए थे।हिमालय की यात्रा के दौरान पांडवों के साथ एक आवारा कुत्ता भी था। उन छह में से, द्रौपदी सबसे पहले जमीन पर गिरती है क्योंकि उसका अर्जुन के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया रहा था। सहदेव का अपने ज्ञान के अभिमान था और नकुल का अहंकार दोनों के अंत का कारण बनता है। भीम और उससे पहले अर्जुन की मृत्यु उसके अभिमान के कारण हुई थी।

युधिष्ठिर ने अपनी यात्रा जारी रखी, वह अदृश्य कुत्ता जो युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग गया था, मृत्यु के देवता यम थे।

(पांडवों के अंत की विस्तृत कहानी ।)

महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद सभी पांडव सशरीर स्वर्ग गए थे। पांचों पांडव अपना राजपाट परीक्षित को सौंपकर जब स्वर्ग की कठिन यात्रा कर रहे थे तब इस यात्रा में द्रौपदी भी उनके साथ गई थी। सभी चाहते थे कि हम सशरीर स्वर्ग पहुंचें। परंतु रास्ते में कुछ ऐसा घटा कि एक एक करके पांडव नीचे गिरकर मृत्यु को प्राप्त हो गए।

पांचों पांडव, द्रौपदी तथा एक कुत्ता आगे चलने लगे। एक जगह द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर पड़ी। द्रौपदी को गिरा देख भीम ने युधिष्ठिर से पूछा कि क्या कारण है कि वह नीचे गिर पड़ी? युधिष्ठिर ने कहा- द्रौपदी हम सभी में अर्जुन को अधिक प्रेम करती थीं। इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ। द्रौपदी ज्यादा दूर नहीं चल पाई ऐसे समय भीम ने द्रौपदी को संभाला। उस समय द्रौपदी ने कहा- सभी भाइयो में भीम ने ही मुझे सबसे ज्यादा प्यार किया है और मैं अगले जन्म में फिर से भीम की पत्नी बनना चाहूंगी।

युधिष्ठिर द्रौपदी को देखे बिना ही आगे बढ़ गए।

थोड़ी देर बाद सहदेव भी गिर पड़े। तब भीम ने पूछा सहदेव क्यों गिरा? युधिष्ठिर ने कहा- सहदेव अपने आप को सर्व श्रेष्ठ विद्वान समझता था, इसी दोष के कारण उसे गिरना पड़ा। कुछ देर बाद नकुल भी गिर पड़े। भीम के पूछने पर युधिष्ठिर ने बताया कि नकुल को अपने रूप पर बहुत अभिमान था। इसलिए आज इसकी यह गति हुई है।

थोड़ी देर बाद अर्जुन भी गिर पड़े। युधिष्ठिर ने भीम से कहा- अर्जुन को अपने पराक्रम पर अभिमान था। अर्जुन ने कहा था कि मैं एक ही दिन में शत्रुओं का नाश कर दूंगा, लेकिन ऐसा कर नहीं पाए। अपने अभिमान के कारण ही अर्जुन की आज यह हालत हुई है। ऐसा कहकर युधिष्ठिर आगे बढ़ गए।

थोड़ी आगे चलने पर भीम भी गिर गए। तब भीम ने गिरते वक्त युधिष्ठिर से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि तुम खाते बहुत थे और अपने बल का झूठा प्रदर्शन करते थे। इसलिए तुम्हें आज भूमि पर गिरना पड़ा। यह कहकर युधिष्ठिर आगे चल दिए। केवल वह कुत्ता ही उनके साथ चलता रहा।

युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इंद्र अपना रथ लेकर आ गए। तब युधिष्ठिर ने इंद्र से कहा- मेरे भाई और द्रौपदी मार्ग में ही गिर पड़े हैं। वे भी हमारे हमारे साथ चलें, ऐसी व्यवस्था कीजिए। तब इंद्र ने कहा कि वे सभी शरीर त्याग कर पहले ही स्वर्ग पहुंच चुके हैं लेकिन आप सशरीर स्वर्ग में जाएंगे।

इंद्र की बात सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि यह कुत्ता भी मेरे साथ जाएगा लेकिन इंद्र ने ऐसा करने से मना कर दिया। काफी देर समझाने पर भी जब युधिष्ठिर बिना कुत्ते के स्वर्ग जाने के लिए नहीं माने तो कुत्ते के रूप में यमराज अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए। युधिष्ठिर को अपने धर्म में स्थित देखकर यमराज खुश हुए। इसके बाद युधिष्ठिर स्वर्ग की ओर निकल पड़े।




प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

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द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

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द हैंग्ड मैन

द डेथ

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